
यरूशलम के उत्तरी हिस्से में स्थित रेमट जंक्शन पर सुबह का वक्त था। लोग बस का इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन तभी वहां आ धमके दो बंदूकधारी और बिना टिकट सीधे गोलियों की बौछार कर दी।
“बस के इंतज़ार में लोग लाइन में थे, अचानक गोलियां चलने लगीं — और वहां खून की लकीर बन गई।”
घटना का सिलसिला
हमलावरों ने एकदम पास से अंधाधुंध फायरिंग की। 5 लोगों की मौत — जिनमें 4 पुरुष और 1 महिला शामिल हैं। मरने वालों में तीन पुरुष लगभग 30 वर्ष और महिला व एक अन्य पुरुष की उम्र लगभग 50 साल बताई गई है। 9 लोग गोली लगने से घायल, 3 को कांच लगने से चोटें आईं। सभी घायलों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
जवाबी कार्रवाई: आम नागरिक बना हीरो
इसराइली पुलिस के मुताबिक:
“हमलावरों को एक सुरक्षा अधिकारी और एक आम नागरिक ने गोली मारकर वहीं ढेर कर दिया।”
यानी, Rambo meets Ramat Junction — आम जनता अब भी हालात संभाल सकती है।
अब तक किसी संगठन ने नहीं ली ज़िम्मेदारी
इस हमले की अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि, हमास ने इस हमले की प्रशंसा जरूर की है।
पढ़िए, “निंदा नहीं, सराहना — आतंक की मानसिकता का सबसे बड़ा संकेत।”
इलाके में हाई अलर्ट, जांच जारी
बम निरोधक दस्ता (Bomb Squad) मौके पर है और पूरा इलाका सुरक्षित किया जा रहा है। फॉरेंसिक टीमें सबूत इकट्ठा कर रही हैं — यानी “CSI: Jerusalem” एक्टिव है। पुलिस फोर्स की तैनाती बढ़ा दी गई है।
मानवता फिर शर्मसार
यह हमला एक बार फिर इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष की गहराई और संवेदनशीलता को उजागर करता है। आम नागरिक, जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी जीने की कोशिश कर रहे थे, राजनीतिक हिंसा के शिकार बन गए।

ये हमला क्यों अहम है?
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स्थान: यरूशलम, जो धार्मिक, राजनीतिक और सामरिक रूप से संवेदनशील है।
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समय: सुबह का व्यस्त समय — अधिकतम आम नागरिक मौजूद।
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तैयारी: हमलावर हथियारों से लैस और योजना के तहत आए।
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प्रतिक्रिया: बिना देर किए सुरक्षाबलों और नागरिकों की सजगता से बड़ा हादसा टला।
आप क्या कर सकते हैं?
अगर आप इज़राइल में हैं, तो स्थानिक ट्रैफिक व सुरक्षा अलर्ट्स पर नजर रखें। अफवाहें न फैलाएं, केवल अधिकारिक सूत्रों से जानकारी साझा करें। यदि कोई संदिग्ध गतिविधि देखें, तुरंत स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों को सूचित करें।
रेमट जंक्शन का यह हमला एक बार फिर बताता है कि आम लोग ही सबसे ज़्यादा आतंकवाद की कीमत चुकाते हैं। इस तरह की घटनाएं केवल सीमा पर तनाव नहीं बढ़ातीं, बल्कि जनता के दिलों में डर और अविश्वास भी पैदा करती हैं।
“बस स्टॉप अब सिर्फ सफर की शुरुआत का प्रतीक नहीं, बल्कि संघर्ष की भी एक नई स्टेज बन चुका है।”
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